Bleeding Eye Virus: दुनियाभर में बढ़ रहा ब्लीडिंग आई वायरस का खतरा, जानें लक्षण और बचाव

Bleeding Eye Virus:  ब्लीडिंग आई वायरस लगातार फैल रहा है। ये एक ऐसी बीमारी है, जो एक दूसरे में तेजी से फैल जाती है। अगर आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो यहां जानें इसके लक्षण और बचाव।

Bleeding Eye Virus: आज के समय में दुनियाभर में ब्लीडिंग आई वायरस फैल रहा है यानी की आंखों में खून आना या खून के थक्के बनना कोई आम बात नहीं है। हाल ही में कई देशों जैसे कि मारबर्ग, एमपॉक्स और आरोपांचे में प्रसार की वजह से ये वायरस तेजी से बढ़ रही है। यहां तक कि रवांडा में इस वायरस के कारण कई लोगों की मौत भी हो गई और सैकड़ों लोग इस वायरस का शिकार भी हो गए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये वायरस है क्या, आंखों को नुकसान कैसे पहुंचता है और इससे बचाव कैसे कर सकते हैं।

ब्लीडिंग आई Bleeding Eye Virus वायरस क्या है?

ब्लीडिंग आई वायरस को साइंटिफिक लैंग्वेज में हेमोरेजिक कंजक्टिवाइटिस कहते हैं। ये एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है। इसके होने पर आंखों में खून के बह सकता है। इसके अलावा आंखों के सफेद भाग में खून के थक्के जमा हो जाते हैं और ये तेजी से फैलता है।

ब्लीडिंग आई वायरस के कारण

ब्लीडिंग आई वायरस के फैलने के कई कारण हो सकते हैं। यह वायरस आमतौर पर एक प्रकार के वायरस, जैसे कि एडेनोवायरस, हेपेटाइटिस या कोरोनावायरस के समूह से संबंधित हो सकता है। यह वायरस अत्यधिक संक्रामक होता है और विभिन्न तरीकों से फैल सकता है:

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1. सीधे संपर्क के माध्यम से: संक्रमित व्यक्ति के हाथों या आंखों से सीधा संपर्क होने से यह वायरस फैल सकता है।

2. वायुजनित संक्रमण: वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से हवा में फैल सकता है। इसके द्वारा हवा में वायरस की बौछार होती है, जिससे निकटवर्ती व्यक्तियों को भी यह संक्रमण हो सकता है।

3. संक्रमित वस्तुओं का उपयोग: संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई चीजों जैसे तौलिया, रुमाल, कंबल, आदि का इस्तेमाल करने से यह वायरस फैल सकता है।

4. सार्वजनिक स्थानों पर भीड़: सार्वजनिक स्थानों पर जहां बहुत लोग एक साथ रहते हैं, जैसे कि स्कूल, अस्पताल, या कार्यस्थल, वहां यह वायरस तेजी से फैल सकता है।

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इस वायरस के लक्षण

Bleeding Eye Virus: मारबर्ग वायरस या ब्लीडिंग आई वायरस में 2 से लेकर 20 दिनों तक लक्षण दिखाई दे सकते हैं। आंखों में तेज जलन और खुजली हो सकती है। इसके साथ ही आंखों के सफेद भाग में लालिमा या खून का थक्का जमना होना, धुंधला दिखाई देना, सिर में लगातार दर्द होना, चक्कर आना, उल्टी आना और हल्का बुखार रह सकता है। इन सभी लक्षणों को देखते हुए के पास जरूर जाएं, ताकि समय पर आपका इलाज हो सके।

कैसे करें बचाव?

ब्लीडिंग आई वायरस से बचने के लिए अपने हाथों को साफ रखें और साफ हाथों से ही अपनी आंखों को छूएं। गंदे हाथों से आंखों को छूने से ये बीमारी तेजी से फैल सकती है। आंखों को और चेहरे को पोंछने के लिए साफ तौलिए और रुमाल का ही इस्तेमाल करें। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें, ताकि ये बीमारी आपको न हो। साथ ही डॉक्टर की सुझाई गई आई ड्रॉप्स या एंटीबायोटिक का ही इस्तेमाल करें। अगर आप कॉनटेक्ट लेंस या स्पेक्स लगाते हैं, तो उसकी भी लगातार सफाई करते रहें।

ब्लीडिंग आई वायरस का उपचार

Bleeding Eye Virus: ब्लीडिंग आई वायरस का कोई विशेष उपचार नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए कुछ चिकित्सा उपायों का पालन किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एंटीवायरल दवाएं, आंखों की दवाएं, और दर्द निवारक दवाएं प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति को पर्याप्त आराम करने और अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है।

नोट: ब्लीडिंग आई वायरस एक गंभीर और संक्रामक संक्रमण है जो आंखों से खून बहने का कारण बन सकता है। इसका खतरा दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है, और इसके लक्षणों को पहचानकर बचाव के उपायों को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वच्छता, व्यक्तिगत सावधानी, और जल्द उपचार से इस वायरस से बचा जा सकता है और इसके फैलने की गति को रोका जा सकता है।

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