Maha Kumbh Prayagraj 2025: शब्दों में नहीं बांधी जा सकती है, तीर्थों के राजा प्रयागराज की महिमा, यही है इसकी खासियत

Maha Kumbh Prayagraj 2025: प्रयागराज की महिमा को शब्दों में बांध पाना वास्तव में कठिन है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस नगरी की आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत इसे अन्य सभी तीर्थों का राजा बनाती है। प्रयागराज आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है, जहां की रेती का प्रत्येक कण श्रद्धा और विश्वास से भरपूर है।

Maha Kumbh Prayagraj 2025

प्रयाग में त्रिधाराओं का संगम है, ये त्रिधाराऐं गंगा, यमुना और सरस्वती की हैं। यहां पर सरस्वती अकाररूप में हैं, यमुना उकाररूप में हैं और गंगा मकाररूप में है, इसी प्रकार प्रयाग संगम प्रणव ओंकार का साक्षात स्वरूप है। इस रूप में तीर्थों का राजा प्रयाग शब्द ब्रह्म ओंकार का प्रतीक और आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदैविक सम्पदाओं का सिद्ध केन्द्र है।

जैसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेव का योगदान सृष्टि के सृजन, पालन और संहार में हैं, उसी प्रकार त्रिधाराओं का मिलन त्रित्व को अपने में समाए हुए है। आज के इस डिजिटल युग में जहां लोग प्रायः शरद ऋतु की ठंडक में घर से निकलना पसंद नहीं करते हैं, वहीं प्राचीन परम्परा का निर्वाह करते हुए असंख्य लोग देश-विदेश से संगम तट पर एकत्र होकर रेती पर कुटिया बनाकर

अकबर और अनारकली की कहानी

अकबर और अनारकली की कहानी: क्या सच में अकबर ने अनारकली को दीवार में चुनवा दिया था?

एक माह पर्यन्त कल्पवास कर पुण्यार्जन करते हैं।

Maha Kumbh Prayagraj 2025
Maha Kumbh Prayagraj 2025

Maha Kumbh Prayagraj 2025: त्रिवेणी की इस त्रिविध सम्पदा को महाकुम्भ के अवसर पर प्राप्त करने के लिए देश के विभिन्न अंचलों से लोग यहां आते हैं। विदेशों से भी श्रद्धालु कुम्भ के अमृत पान की अभिलाषा से यहां उपस्थित होते हैं। त्रिवेणी संगम केवल जलधारा का मिलन नहीं, बल्कि आस्था, मोक्ष, और ऊर्जा का प्रतीक है। यहां डुबकी लगाना केवल शारीरिक शुद्धि नहीं, बल्कि आत्मिक मुक्ति का मार्ग है। पौराणिक मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी ने यहां यज्ञ किया था, जिससे इसे तीर्थराज की उपाधि मिली। यह वह भूमि है जहां वेदों और पुराणों की ऋचाएं गूंजती हैं।

Maha Kumbh Prayagraj 2025: महाकुंभ केवल मेला नहीं, यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है। साधु-संतों का समागम, मंत्रोच्चार, यज्ञ और गंगा, यमुना की गूंजती धारा इसे अद्वितीय बनाती हैं। प्रयागराज आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है, जहां की रेती का प्रत्येक कण श्रद्धा और विश्वास से भरपूर है। माघ मास में महाकुम्भ के दौरान यज्ञ, अनुष्ठान, प्रवचन आदि अनेकानेक गतिविधियों के कारण प्रयागराज की वायु में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा व्याप्त हो जाती है, जो प्रत्येक व्यक्ति को आत्मिक शांति और मन को स्थिरता प्रदान करती है।

You May Also Like

More From Author