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क्या आपने कभी सोचा है कि Ratti Bhar Laaj Nahi वाली कहावत में रत्ती शब्द आखिर आया कहां से है? शायद आपने भी कभी किसी से ऐसा कहा होगा या फिर यह मुहावरा सुना तो जरूरी होगा। प्राचीन काल में जब तराजू का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग रत्ती के छोटे-छोटे बीजों का इस्तेमाल सोने-चांदी को तौलने के लिए करते थे। आइए जानें इस अनोखे बीज की दिलचस्प कहानी।
- रत्ती के बीजों ने प्राचीन काल में सोने-चांदी को तौलने का काम किया।
- इनके स्थिर वजन ने इन्हें चीजें तौलने का एक प्राकृतिक पैमाना बना दिया था।
- समाज में आज ‘रत्ती’ शब्द से जुड़े मुहावरे काफी प्रचलित हैं।
Ratti Bhar Laaj Nahi
हम अपनी रोजमर्रा की बातचीत में अक्सर मुहावरे और जुमले इस्तेमाल करते हैं। इनमें से एक बहुत ही प्रचलित मुहावरा है ‘रत्ती भर’ (Ratti Bhar Laaj Nahi)। हम इसे छोटी या थोड़ी-सी मात्रा के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘रत्ती’ सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि एक पौधे का नाम भी है? जी हां, इस पौधे को आमतौर पर गूंजा कहते हैं। यह पौधा जंगलों और पहाड़ी इलाकों में आसानी से पाया जाता है। इसमें पत्ते और फल दोनों होते हैं। आइए जानते हैं कि इस पौधे और मुहावरे के बीच क्या संबंध (Meaning of Ratti Bhar Phrase) है।
पौधा से निकला ‘रत्ती’ शब्द
आपने ‘रत्ती भर’ तो सुना ही होगा, लेकिन बता दें कि रत्ती एक पौधे का नाम भी है। जी हां, इस पौधे में लगने वाले बीजों को भी रत्ती कहा जाता है। ये बीज दिखने में बेहद खूबसूरत होते हैं। लाल और काले रंग के ये छोटे-छोटे बीज मटर के दाने जैसे दिखते हैं, लेकिन छूने में ये मोती की तरह कठोर और चिकने होते हैं। पकने पर ये बीज पेड़ से गिरकर जमीन पर आ जाते हैं। इस पौधे को दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है और इसे ‘गूंजा’ के नाम से भी जाना जाता है।
जब तराजू नहीं थे, तब रत्ती का राज था
Ratti Bhar Laaj Nahi: जानकारी के मुताबिक, प्राचीन काल में जब तराजू जैसे उपकरण नहीं थे, तब लोग वजन नापने के लिए प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करते थे। उनमें से एक थी रत्ती। रत्ती एक बीज का नाम है जो काफी छोटा और हल्का होता था। सोने और चांदी जैसे कीमती धातुओं को मापने के लिए इसी रत्ती का इस्तेमाल किया जाता था। जितने रत्ती के बीज किसी धातु के बराबर होते थे, उतने ही रत्ती उस धातु का वजन माना जाता था। यह एक तरह का प्राचीन मापन तंत्र था। उस वक्त के सुनार अपने पास रत्ती के बीज रखते थे और उनका इस्तेमाल गहने बनाने और बेचने में करते थे।
रत्ती के पत्ते भी हैं बेहद खास
रत्ती एक ऐसा पौधा रहा है, जिसने सदियों से इंसानों को कई तरह से फायदा पहुंचाया है। प्राचीन काल से ही इसके बीजों का इस्तेमाल रत्नों की शुद्धता और आकार मापने के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद में भी रत्ती का खास महत्व है। बताया जाता है कि इसके पत्तों का रस मुंह के छालों में आराम पहुंचाता है और जड़ों का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। रत्ती की जड़ों में पाए जाने वाले औषधीय तत्वों ने इसे आयुर्वेदिक दवाओं का एक खास इंग्रेडिएंट बना दिया है।
सालों-साल नहीं बदलता ‘रत्ती’ का वजन
Ratti Bhar Laaj Nahi: सबसे खास बात है रत्ती के बीज का वजन! जी हां, चाहे आप इन्हें कितने भी दिनों तक पानी में डुबोकर रखें या तेज धूप में सुखाकर रखें, ये बीज बिल्कुल स्थिर रहते हैं। समय के साथ इनका वजन न बढ़ने के कारण ही इन्हें प्राचीन काल से तौलने का एक छोटा पैमाना माना जाता था। इतना ही नहीं, अगर आप दस साल बाद भी इन्हें तौलें तो इनका वजन पहले जितना ही होगा। हालांकि, रत्ती का वजन बेहद कम होता है। इसी कारण से ‘रत्ती भर’ मुहावरा प्रचलित हुआ है, जिसका इस्तेमाल आज भी कम मात्रा को दिखाने के लिए किया जाता है।