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अंधविश्वास या हकीकत: यह घटना एक छोटे से गांव की है, जहां रात को लोग जल्दी सो जाया करते थे और अंधेरा होते ही सन्नाटा छा जाता था। गांव के पास ही एक पुराना पीपल का पेड़ था, जिसके बारे में लोगों का मानना था कि वह पेड़ भूत-प्रेतों का ठिकाना है। गांव में एक बुजुर्ग महिला थी, जिनका नाम सुमित्रा था। वह अक्सर गांव वालों को उस पेड़ के पास ना जाने की सलाह देती थीं, खासकर रात में, क्योंकि उन्होंने खुद कई अजीबो-गरीब घटनाएं देखी थीं।
अंधविश्वास या हकीकत?
एक रात गांव का एक नौजवान, जिसका नाम मोहन था, दोस्तों के साथ दावत मनाने के बाद देर रात घर लौट रहा था। उसके दोस्त उससे मजाक कर रहे थे और उसे उस पीपल के पेड़ के पास से गुजरने के लिए चुनौती दे रहे थे। मोहन ने इसे हल्के में लिया और सोचा कि ये तो बस अंधविश्वास है। वह हंसता हुआ पेड़ के पास से गुजरने के लिए तैयार हो गया।
जैसे ही वह पेड़ के पास पहुंचा, हवा अचानक से तेज हो गई और ठंडी हवाओं का झोंका उसके शरीर में सिरहन पैदा कर गया। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ता रहा। तभी उसने महसूस किया कि कोई उसके पीछे चल रहा है। उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। मोहन को थोड़ा अजीब लगा, पर उसने इसे नजरअंदाज कर दिया।
आगे बढ़ते ही उसे किसी महिला के रोने की आवाज सुनाई देने लगी। अंधविश्वास या हकीकत? आवाज इतनी दर्दभरी थी कि मोहन की हिम्मत जवाब देने लगी, लेकिन उसने खुद को समझाया कि ये महज उसका भ्रम है। फिर भी, वह उस आवाज की ओर आकर्षित हो गया और उसने आवाज का पीछा करना शुरू कर दिया। थोड़ी दूर चलते ही उसे पेड़ के नीचे सफेद साड़ी पहने एक औरत बैठी नजर आई, जो बुरी तरह रो रही थी।
अंधविश्वास या हकीकत,मोहन ने पास जाकर उससे पूछा, “तुम्हें क्या हुआ? इतनी रात को यहां अकेली क्यों हो?” लेकिन उस औरत ने कोई जवाब नहीं दिया, बस रोती रही। अचानक, उस औरत ने अपना चेहरा ऊपर उठाया, और मोहन को जो दिखा, उसने उसकी रूह कंपा दी। उस औरत का चेहरा बहुत ही डरावना और विकृत था, जैसे किसी आत्मा का चेहरा हो। मोहन के मुंह से चीख निकल गई, और वह भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसके पैर जैसे बंध गए थे।
उसने किसी तरह अपनी पूरी ताकत जुटाई और वहां से भागने लगा। जब वह गांव पहुंचा, तो उसने यह बात किसी को नहीं बताई, क्योंकि उसे लगा कि लोग उसे पागल समझेंगे। लेकिन उसके बाद से उसका व्यवहार बदल गया। वह अक्सर उदास और खोया-खोया सा रहने लगा। धीरे-धीरे उसकी हालत खराब होने लगी, और कुछ ही महीनों बाद उसकी मौत हो गई।
अंधविश्वास या हकीकत, लोग कहते हैं कि मोहन की आत्मा भी अब उस पेड़ के पास भटकती है और जो भी वहां से गुजरता है, उसे वही डरावना अनुभव होता है। कई लोग अब भी उस पेड़ के पास जाने से डरते हैं और उस घटना का जिक्र करते हुए कांप जाते हैं। गांव वालों का मानना है कि वह पेड़ अभिशप्त है और जो भी उसके पास जाता है, उसकी जिंदगी में कुछ ना कुछ अनहोनी जरूर होती है।
अंधविश्वास या हकीकत: इस घटना के बाद से गांव में यह मान्यता और मजबूत हो गई कि उस पीपल के पेड़ के पास जाना अशुभ है, और लोग शाम ढलने के बाद उस रास्ते से गुजरने से बचते हैं।