Lohri Festival 2025: पौष माह के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व मनाने की परंपरा है. लोहड़ी पर पवित्र अग्नि जलाकर उसकी पूजा करने का विधान है. इस दिन दुल्ला भट्टी को याद करके उनके गीत गाते हैं.
Lohri Festival 2025
सिख समुदाय के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. इस पर्व की सबसे अधिक धूम पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में रहती है. यह पर्व कृषि व प्रकृति को समर्पित होता है. इस दिन किसान अपनी नई फसलों को अग्नि में समर्पित करते हैं और भगवान सूर्यदेव को धन्यवाद अर्पित करते हैं. लोहड़ी का पर्व सुख-समृद्धि व खुशियों का प्रतीक है. लोग इस त्योहार को मिलजुल कर मनाते हैं और खुशियों के गीत गाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं लोहड़ी का अर्थ क्या है? हर वर्ष यह पर्व क्यों मनाया जाता है. आइए पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं लोहड़ी नाम कैसे पड़ा और यह पर्व क्यों मनाया जाता है?
क्यों मनाते हैं लोहड़ी का पर्व?
लोहड़ी मनाने के पीछे कई प्रचलित कथाएं भी हैं. लोहड़ी का पर्व माता सती, भगवान श्रीकृष्ण व दुल्ला भट्टी से जुड़ा हुआ माना गया है. इस दिन दुल्ला भट्टी वाला गीत गाने की परंपरा है. लोहड़ी पर अग्नि जलाई जाती है. सभी लोग इस पवित्र अग्नि की पूजा करते हैं. घर परिवार व रिश्तेदार सब लोग मिलकर लोहड़ी जलाते हैं. अग्नि में नई फसल, रेवड़ी, तिल, मूंगफली, गुड़ आदि डाले जाते हैं. वहीं, मेहमानों को लोहड़ी से संबंधित वस्तुएं वितरित की जाती हैं और लोहड़ी की बधाइयां देते हैं.
कैसे पड़ा लोहड़ी नाम?
Lohri Festival 2025: पौष माह के अंतिम दिन रात्रि में लोहड़ी जलाने का विधान है. इस दिन के बाद प्रकृति में कई बदलाव आते हैं. लोहड़ी की रात साल की सबसे लंबी रात होती है. इसके बाद धीरे-धीरे दिन बड़े होने लगते हैं. मौसम फसलों के अनुकूल होने लगता है, इसलिए इसे मौसमी त्योहार भी कहा जाता है. लोहड़ी में ल से लकड़ी, ओह से गोहा (जलते हुए सूखे उपले) और ड़ी से रेवड़ी अर्थ होता है, इसलिए इस दिन मूंगफली, तिल, गुड़, गजक, चिड़वे, मक्के को लोहड़ी की आग पर से वारना करके खाने की परंपरा है.
“अस्वीकरण: यहाँ दी गई जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है। इसे अपनाने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। Gyan Ki Dhara इस जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।”