Weeping Marriage In China: यहां शादी से एक महीने पहले दुल्हन शुरू कर देती है रोने की प्रैक्टिस, आंसू न निकलने पर पीटकर रुलाती है मां

Weeping Marriage In China: जरा सोचिए एक दुल्हन अपनी शादी की तैयारियों में बिजी है लेकिन इस बीच एक अनोखा रिवाज (Wedding Ritual) चल रहा है- हर रोज एक घंटे रोना। जी हां आपने सही सुना! तुजिया समुदाय (Weeping Marriage In China) में शादी से पहले दुल्हन को 30 दिन तक रोना होता है। यह रोना कोई मजाक नहीं बल्कि एक पुरानी परंपरा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है।

  1. चीन के तुजिया समुदाय में शादी से एक महीने पहले रोने की परंपरा शुरू हो जाती है।
  2. परंपरा में दुल्हन को अपनी शादी से एक महीने पहले रोजाना एक घंटे रोना होता है।
  3. इस अजीबोगरीब परंपरा के पीछे बेहद दिलचस्प वजह छिपी है, जो हैरान कर देती है। 

Weeping Marriage In China क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहां शादी का मतलब सिर्फ खुशी मनाना नहीं होता? जी हां, जैसे भारत में शादियां खुशियों और रौनक से भरी होती हैं, लेकिन चीन की एक जनजाति (Weeping Marriage Tujia Tribe in China) में शादी एक ऐसा मौका है जहां दुल्हन को रोना ही पड़ता है। जाहिर तौर पर आपको यह परंपरा (Crying Bride Tradition) बड़ी अजीब लग सकती है,

मगर इस जनजाति का मानना है कि दुल्हन का रोना शादी को शुभ बनाता है। सोचिए, एक तरफ तो शादी का दिन जीवन का सबसे खूबसूरत दिन होता है और दूसरी तरफ इस जनजाति की लड़कियां एक महीने पहले ही रोने की प्रैक्टिस (Bride Practice To Weep Before Wedding) करने लगती हैं।

कई बार तो घरवाले ही उन्हें उकसाते हैं कि वे ज्यादा रोएं और अगर ऐसे में आंसू न निकले तो दुल्हन की मां ही अपनी लड़की को पीट-पीटकर रुलाना शुरू कर देती है। आइए इस आर्टिकल में आपको इस अजीबोगरीब प्रथा के बारे में विस्तार से बताते हैं।

दुल्हन के आंसुओं के बिना अधूरी रहती है शादी

Weeping Marriage In China

Weeping Marriage In China: भारत में शादी-ब्याह का माहौल हंसी-खुशी से भरा होता है, लेकिन चीन के दक्षिणी पश्चिमी प्रांत सिचुआन में रहने वाली तुजिया जनजाति की शादियां बिल्कुल अलग होती हैं।

हजारों सालों से इस जनजाति के लोग यहां रहते आए हैं और उनकी शादियों में दुल्हनों को रोना बेहद जरूरी होता है। ऐसी मान्यता है कि इस अनोखी परंपरा की शुरुआत 475 ईसा पूर्व से 221 ईसा पूर्व के बीच हुई थी और 17वीं सदी में यह अपने जोरों पर थी। कहा जाता है कि जब जाओ राज्य की राजकुमारी की शादी हुई थी, तब उनकी मां बेटी के बिछड़ने के गम में फूट-फूट कर रोई थीं। उसी घटना के बाद से इस जनजाति में दुल्हन के रोने की परंपरा शुरू हो गई।

30 दिन तक रोजाना रोती है दुल्हन

शादी से एक महीने पहले से ही यह अनोखी परंपरा शुरू हो जाती है, जिसे दुल्हन का परिवार बड़ी ही श्रद्धा के साथ निभाता है। हर दिन, एक घंटे के लिए दुल्हन को रोना होता है, और इस दौरान परिवार की महिलाएं उसके साथ मिलकर पारंपरिक गीत गाती हैं। ये गीत दुल्हन के जीवन में आ रहे बदलाव और अपने परिवार से जुड़ाव की भावनाओं को बयां करते हैं।

दुल्हन के साथ घरवाले भी रोते हैं

पहले दिन दुल्हन अकेले नहीं रोती, बल्कि उसकी मां और दादी भी उसके साथ अपने दिल की गहराइयों से रोती हैं। यह शुरुआती दिन भावनाओं का एक ऐसा समंदर होता है, जहां दुल्हन अपने नए जीवन की ओर बढ़ने के साथ ही अपने पुराने घर और परिवार से जुड़ाव को भी महसूस करती है। इस दौरान वह अपनी मां के आंचल में सिर रखकर, अपने दिल के टुकड़े-टुकड़े होने का दर्द बांटती है।

जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, दुल्हन के आंसू गहरे होते जाते हैं और उसके रोने में उसकी आत्मा की गूंज सुनाई देती है। यह प्रक्रिया उसके अंदर एक नए इंसान के जन्म की तरह होती है, जहां वह अपने पुराने स्व को छोड़कर एक नए जीवन की शुरुआत करती है। एक महीने तक चलने वाली इस परंपरा में, दुल्हन अपने घर में रिश्तेदारों और दोस्तों का प्यार हासिल कर पाती है। हर दिन यह परंपरा एक नई उम्मीद जगाती है और दुल्हन को यह एहसास कराती है कि वह कभी अकेली नहीं है।

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